Saturday, September 21, 2024

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राम मंदिर के आगामी उद्घाटन पर राजनीति की उलझन: भक्ति या राजनीति?

Uddhav Thackeray: अयोध्या: महत्वपूर्ण समर्पण का पल

भगवान राम के भक्तों के लिए अयोध्या में राम मंदिर के आगामी उद्घाटन का समय नजदीक आ रहा है। यह क्षण न केवल भक्तों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है जिसे देशवासी बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ देख रहे हैं। लेकिन इस घटना के चारों ओर घूमते हुए, राजनीतिक उलझनें भी बढ़ रही हैं, जैसा कि राम मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने उद्धव ठाकरे की टिप्पणी को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

निमंत्रण का विवाद

मुख्य पुजारी ने उद्धव ठाकरे की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि निमंत्रण केवल उन लोगों को दिया जाता है जो भगवान राम के भक्त हैं। उनका कहना है कि इसमें भाजपा की राजनीति का कोई स्थान नहीं है और प्रधान मंत्री को सम्मानित किया जाता है।

धरोहर और धार्मिकता का मेलजोल

राम मंदिर का निर्माण भारतीय समृद्धि और एकता के प्रती एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है जो देशवासियों को एक सजीव धरोहर से जोड़ने का कारगर माध्यम है। इस उत्सव में भारतीय समाज एक साथ आ रहा है और इस नए धारोहर की महत्वपूर्णता को महसूस कर रहा है।

राजनीतिक उलझनें

लेकिन इस समर्पण के बीच, राजनीतिक उलझनें बढ़ रही हैं। संपादकीय में भी यह बात उठाई गई है कि इस घटना को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है। भक्ति और धार्मिकता के पीछे छुपी राजनीति के चलते इस समर्पण का मौजूदा माहौल बन रहा है।

समाप्ति

राम मंदिर के आगामी उद्घाटन के मौके पर, हमें यह याद रखना होगा कि इस महत्वपूर्ण समर्पण का मूल उद्देश्य भक्ति और सांस्कृतिक सामूहिकता को बढ़ावा देना है, न कि इसे राजनीतिक घटनाक्रम के लिए इस्तेमाल किया जाए। हमें एक समृद्ध और एकत्रित भारत की ऊर्जा को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हम सभी मिलकर इस सांस्कृतिक क्षण को उद्घाटन कर सकें।

Uddhav Thackeray:

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