Thursday, September 19, 2024

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“राम मंदिर: आत्मनिर्भरता और हरितता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम”

Ram Mandir: अयोध्या के मन में बसी आनंद, शांति और भक्ति की भावना को अब एक नए दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। राम मंदिर का निर्माण अपने आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों को अपनाते हुए हो रहा है। मंदिर ट्रस्ट ने किया गया एलान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आत्मनिर्भरता की प्रक्रिया: राम मंदिर का परिसर स्वयं “आत्मनिर्भर” होगा, इसमें बहुत गुणवत्ता से भरा हुआ हरित क्षेत्र होगा। ट्रस्ट ने इसे सैकड़ों पेड़ों से घिरा हुआ और सुसज्जित बनाने का एलान किया है। हरित क्षेत्र के ऐसे हिस्से शामिल हैं जो बहुत घने हैं, जिनमें सूर्य की रोशनी भी मुश्किल से ही पहुँच पाती है।

सुविधाएं और उपाय: मंदिर परिसर में स्वयं सीवेज और जल उपचार संयंत्र, एक फायर ब्रिगेड पोस्ट, और समर्पित बिजली लाइन जैसी सुविधाएं होंगी। दो सीवेज उपचार संयंत्रों के साथ एक डब्ल्यूटीपी (जल उपचार संयंत्र) भी होगा। इससे मंदिर परिसर अपने तरीके से “आत्मनिर्भर” होगा, और अयोध्या नगर निकाय के सीवेज या जल निकासी प्रणाली पर कोई बोझ नहीं डालेगा।

मंदिर का निर्माण: मंदिर का पहला चरण शीघ्र ही पूरा होने वाला है, और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को “प्राण प्रतिष्ठा” अथवा राम लला की मूर्ति के अभिषेक समारोह में भाग लेंगे। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से होगा और निकास दक्षिण दिशा से होगा। संपूर्ण मंदिर अधिरचना तीन मंजिला होगा – जी 2।

मंदिर की रचना: परंपरागत नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। मंदिर में एक आयताकार परिधि होगी जिसे ‘परकोटा’ कहा जाएगा, एक विशेषता जो दक्षिण भारत के मंदिरों में पाई जाती है। ‘परकोटा’ 14 फुट चौड़ा होगा और यह परिधि 732 मीटर तक फैली होगी।

पर्यावरण संरक्षण: मंदिर परिसर में सात अन्य मंदिरों की योजना बनाई गई है, जो महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या को समर्पित हैं। इन सभी मंदिरों के निर्माण से भगवान राम के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण किस्से सुने जा सकेंगे।

अद्भुत योजनाएं: अयोध्या के कुबेर टीला पर जटायु की मूर्ति स्थापित की गई है और कुबेर टीला पर मौजूद एक प्राचीन शिव मंदिर का पुनरुद्धार किया गया है। इससे स्थानीय ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वपूर्ण स्थलों को भी उत्कृष्टता मिलेगी।

नए दौर में आगे बढ़ते हुए: राम मंदिर का निर्माण एक नए दौर की शुरुआत की ओर एक कदम है, जिसमें आत्मनिर्भरता, पर्यावरण संरक्षण, और धार्मिक स्थलों का समृद्धिपूर्ण विकास हो। यह निर्माण कार्य न केवल एक मंदिर की बनावट में हो रहा है, बल्कि एक पूरे समुदाय के उत्थान और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।*

यह एक ऐतिहासिक और भव्य क्षण है, जो न केवल भारतीय धार्मिकता को बल्कि पूरे विश्व को एक नए और उत्कृष्ट दृष्टिकोण की ओर प्रेरित कर रहा है। यह निर्माण योजना एक सुंदर, प्राकृतिक, और सांस्कृतिक अनुभव को उत्कृष्ट बनाने का उदाहरण स्थापित कर रही है।

Ram Mandir:

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