Kuber Bhagwan: बहुत समय पहले की बात है, स्वर्ग में एक धनधान्यधिपति थे, जिनका नाम कुबेर था। कुबेर भगवान विष्णु के भक्त थे और उन्होंने भगवान की पूजा-अर्चना में समर्पित जीवन जीने का निर्णय किया था। उनकी भक्ति और तपस्या ने उन्हें स्वर्ग में कुबेर बना दिया।
कुबेर धन का देवता था और उनका राज्य अलौकिक धन से भरपूर था। उनके दरबार में हमेशा समृद्धि और समृद्धि का माहौल रहता था। लेकिन इस धन की अधिकता ने कुबेर को गर्व में मुब्त कर दिया था। वह अपने धन की अधिकता में इतने आसक्त हो गए कि उन्होंने अपने भक्तों की भलाइयों को भूल गए।
एक दिन, भगवान शिव ने कुबेर को चेताया और उन्हें उनकी भूल का सामना करने के लिए कहा। कुबेर ने अपनी गर्वित भूमि को छोड़कर भगवान की सेवा करने का निर्णय किया। उन्होंने धन को त्याग कर दिया और तपस्या में लिपट गए।
भगवान ने उनकी तपस्या को देखकर प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया। कुबेर ने भगवान की कृपा से अद्भुत भक्ति प्राप्त की और उनका जीवन पुनः समृद्धि और समृद्धि से भर गया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धन की मात्रा में रत होने से हम अपने आस-पास के लोगों की भलाइयों को भूल जाते हैं। धन का सही उपयोग करना और दूसरों की मदद करना हमें अध्यात्मिक उन्नति में सहायक हो सकता है। यह भी दिखाता है कि भगवान की भक्ति और सेवा का मार्ग हमें सच्चे धन और समृद्धि की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
Kuber Bhagwan:
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