Arun Yogiraj: 22 जनवरी 2024, अयोध्या: भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा, जब अयोध्या मंदिर ट्रस्ट ने मूर्तिकार अरुण योगीराज की रचना की गई मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने का निर्णय किया है। यह मूर्ति, जिसे योगीराज ने बनाया है, भगवान राम के प्रति श्रद्धाभावना और भक्ति का परिचायक है।
मूर्तिकार अरुण योगीराज का नाम मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों के वंश से जुड़ा है। उन्होंने अपने कला करियर की शुरुआत बचपन में ही की थी और उनके पिता और दादा से प्रेरित होकर मूर्तिकला का अध्ययन किया था। मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 2008 में पूर्णकालिक मूर्तिकला का कार्य शुरू किया।
राम मंदिर के लिए बनाई गई मूर्ति को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के माध्यम से गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा, जिससे मंदिर का निर्माण एक नई ऊंचाई पर पहुँचेगा। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मौके पर योगीराज की मूर्ति की श्रेणी को महत्वपूर्ण बताया और उनके शैलीशील्प की सराहना की।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी अरुण योगीराज को बधाई दी और इस मूर्ति के माध्यम से भगवान राम के भक्तों का गौरव बताया।
अरुण योगीराज का साहित्य: मूर्तिकार योगीराज ने अपने शैलीशील्प के क्षेत्र में कई प्रमुख मूर्तियों का निर्माण किया है। उनकी कला में दिलचस्पी लाए जाने वाले कार्यों में दिल्ली में इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति के पीछे प्रदर्शित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति शामिल है। उनकी शृंगार, शैली, और शिल्पता की भावना उनके आदिकाल से ही उन्हें एक प्रमुख मूर्तिकार बना देती है।
राम मंदिर के भव्य प्रतिष्ठा समारोह की दिनांक 22 जनवरी 2024 को तय की गई है और इसे पूरे देश में बड़ी श्रद्धांजलि के साथ स्वागत किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में हो रहा है और इसे एक नए सवरूप में उभारा जाएगा।
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भगवान राम के मंदिर के निर्माण में योगीराज अरुण की मूर्ति का स्थान होना, इस महत्वपूर्ण क्षण में उनके साहित्य और कला के प्रति देशवासियों का गर्व और आदर बढ़ाता है। यह मंदिर एक नये आध्यात्मिक और सांस्कृतिक युग की शुरुआत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
Arun Yogiraj:
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