Owaisi: भारतीय राजनीति में राम मंदिर के उद्घाटन के मामले पर गहरा विवाद छिड़ा है, जिसमें ओवैसी जैसे नेता ने सरकार के पक्षपात का आरोप लगाते हुए विवादों को उजागर किया है।
ओवैसी के विवादास्पद बयानों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, उन्हें एक विशेष समुदाय के पक्षपाती होने का आरोप लगाया और सरकार के धार्मिक पूर्वाग्रह की आलोचना की। इसके साथ ही, उन्होंने देश को ‘बाबा मोदी’ की जरूरत नहीं होने का भी दावा किया।
ओवैसी के बयानों में सुनाई गई वोट बैंक राजनीति की बात करते हैं, जिसमें सरकार का एक विशेष समुदाय के पक्ष में खड़ा होने का आरोप है। उनका कहना है कि राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा का प्रस्ताव सिर्फ एक धर्म के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए होना चाहिए।
उन्होंने अपने बयानों में भगवान राम का सम्मान किया और उनकी नफरत नाथूराम गोडसे के प्रति व्यक्त की, जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की थी।
ओवैसी के इस बयान के बाद, भाजपा से स्पष्टीकरण मांगने की मांग की गई है, कि क्या सरकार का कोई अपना धर्म है। इसके साथ ही, उन्होंने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या ये प्रस्ताव सिर्फ धार्मिक समुदाय के हित में है या फिर पूरे देश के लोगों के हित में।
इस विवाद के बावजूद, लोकसभा ने ऐतिहासिक रूप से श्री राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा पर प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया गया है।
इस चर्चा ने भारतीय राजनीति के विवादों को और गहरा कर दिया है, जिसमें समाज के विभाजन की संभावना है। यह विवाद सिर्फ धार्मिक या समाजिक नहीं है, बल्कि यह देश के राजनीतिक और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित कर सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या इस विवाद को सुलझाने के लिए सरकार और विपक्ष में सांझेदारी करेंगे या फिर इसे राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग करेंगे। इसका समाधान नहीं होने से यह विवाद और भी गहरा हो सकता है और राष्ट्रीय एकता को खतरे में डाल सकता है।
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