Jharkhand Hemant Soren: झारखंड में हुए राजनीतिक घमासान का मुद्दा सामने आया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और उनके उत्तराधिकारी चंपाई सोरेन की भरपूर विश्वासमता का मुद्दा है। इस आलेख में, हम इस घटना की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे और इसके साथ ही यह भी देखेंगे कि कैसे यह समय झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण पल की तरह है।
- उपाधी गिरफ्तारी का परिचय: हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के पीछे एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के आरोप हैं कि उन्होंने एक 600 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में शामिल होने का हिस्सा बनाया और इसके लाभ को सफेद धन में परिणामी बनाया। इस घोटाले में सरकारी भूमि के मालिकाना के परिवर्तन और इसे निर्माताओं को बेचने का एक “बड़ा रैकेट” है, यह ED आरोप लगा रहा है।
- राजभवन के बारे में आरोप: हेमंत सोरेन ने अपने सभी आरोपों के बारे में स्पष्टता से कहा कि उनकी गिरफ्तारी में राजभवन का भी एक योगदान है। उन्होंने कहा, “31 जनवरी की रात को देश में पहली बार एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया… और मुझे यकीन है कि इस घटना में राजभवन भी शामिल था।”
- विश्वासमता मत: चंपाई सोरेन, जो हेमंत सोरेन के बाद उनके पद पर आए, ने एक विश्वासमता मत के लिए समर्थन प्राप्त किया है। इस मत में उन्हें 47 वोट मिले, जिससे उनकी सरकार ने बहुमत प्राप्त किया।
- चुनौती भरा वक्तव्य: हेमंत सोरेन ने भाजपा को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने के लिए चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “अगर उनमें (भाजपा) साहस है, तो मेरे नाम पर जमीनों के पंजीकृत कागजात दिखाएं। यदि साबित होता है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।”
- समापन: इस घटना के माध्यम से झारखंड में राजनीतिक गतिविधियों में बड़ी खिचड़ी है और इसने स्थानीय राजनीतिक सीने में उठाने वाले सवालों को उजागर किया है। हेमंत सोरेन के आरोपों की जांच और चंपाई सोरेन की सरकार की नेतृत्व में विश्वासमता का मुद्दा अब तकनीकी संबंधों के साथ जुड़ा है।
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